बदलाव: समय की अनिवार्यता और प्रगति का पथ!

बदलाव प्रकृति का शाश्वत नियम है, और इसे अपनाने वाला ही समय के साथ आगे बढ़ता है। जो बदलाव का विरोध करता है, वह समय की धारा में पीछे छूट जाता है। यह नियम न केवल व्यवसाय और तकनीक में लागू होता है, बल्कि जीव-जगत, समाज और मानव जीवन पर भी उतना ही प्रभावी है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि समय के साथ खुद को न बदलने वालों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। मोबाइल फोन की दुनिया में एक समय था जब नोकिया का नाम हर किसी की जुबान पर था। उसकी सादगी, मजबूती, और विश्वसनीयता ने इसे बाजार में सबसे ऊँचे स्थान पर पहुंचा दिया था। लेकिन जब स्मार्टफोन का युग आया और एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म ने बाजार में कदम रखा, नोकिया ने समय के इस बदलाव को नज़रअंदाज़ कर दिया। उसने एंड्रॉयड को अपनाने से इंकार किया और अपने पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम पर अड़ा रहा। इसका परिणाम यह हुआ कि एंड्रॉयड आधारित कंपनियों जैसे सैमसंग, शाओमी आदि ने बाजार पर कब्जा कर लिया और नोकिया धीरे-धीरे बाजार से बाहर हो गया। अम्बेसडर: एक युग का अंत इसी तरह, भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में अम्बेसडर कार का नाम किसी समय सम्मान और रुतबे का प्रतीक था। सरकारी अधिकारी और राजनेता इस कार को अपनी प्रतिष्ठा मानते थे। लेकिन जैसे-जैसे नई और आधुनिक कारें बाजार में आईं, विशेष रूप से इनोवा जिसने तकनीकी सुविधाओं, आराम, और आधुनिक डिज़ाइन के साथ बाजार में अपनी जगह बनाई, अम्बेसडर पीछे छूट गई। समय के साथ खुद को न बदलने की वजह से अम्बेसडर का अस्तित्व समाप्त हो गया। याहू का पतन: डिजिटल युग का बदलता चेहरा इंटरनेट की दुनिया में याहू का नाम कभी प्रमुख हुआ करता था। याहू का सर्च इंजन और ईमेल सेवा वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय थी। लेकिन जब गूगल जैसी कंपनियों ने उन्नत सर्च तकनीक और सेवाएँ विकसित कीं, याहू समय के साथ खुद को अपडेट नहीं कर पाई। इसका परिणाम यह हुआ कि गूगल ने बाजार में दबदबा बना लिया और याहू पिछड़ गई। यह एक स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे बदलाव न करने से बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी ढह जाती हैं। PCO और कैसेट्स रिकॉर्डिंग: विलुप्त होते व्यवसाय सिर्फ बड़ी कंपनियाँ ही नहीं, छोटे व्यवसाय भी समय के बदलाव का सामना करते हैं। एक समय था जब हर गली-चौराहे पर पीसीओ (पब्लिक कॉल ऑफिस) की दुकानों का जमघट होता था, लेकिन मोबाइल फोन के प्रसार और सस्ते कॉल दरों के कारण पीसीओ की दुकानें पूरी तरह से विलुप्त हो गईं। इसी तरह, कैसेट रिकॉर्डिंग का व्यवसाय, जो संगीत प्रेमियों का केंद्र हुआ करता था, डिजिटल म्यूजिक और स्ट्रीमिंग सेवाओं के आने से पूरी तरह गायब हो गया। ये व्यवसाय समय के साथ खुद को ढाल नहीं पाए, और नई तकनीक ने इन्हें हाशिये पर धकेल दिया। प्राकृतिक दुनिया में बदलाव और विलुप्ति बदलाव केवल व्यवसाय और तकनीक में नहीं होता, बल्कि जीव-जगत में भी होता है। कई प्रजातियाँ समय के बदलाव और पर्यावरणीय बदलावों के कारण विलुप्त हो चुकी हैं। जैसे कि डायनासोर, डोडो पक्षी और कई अन्य जानवर। इसके बावजूद, कुछ प्रजातियाँ जैसे जिराफ अभी भी जीवित हैं क्योंकि उन्होंने पर्यावरणीय बदलावों के साथ खुद को ढाला। यह उदाहरण भी स्पष्ट करता है कि बदलाव न अपनाने का नतीजा अस्तित्व के खतरे के रूप में सामने आता है। निष्कर्ष: बदलाव को अपनाना अनिवार्य है चाहे वह तकनीक हो, व्यवसाय हो, या प्रकृति—बदलाव को अपनाना अनिवार्य है। जो समय के साथ नहीं बदलता, वह पीछे छूट जाता है और अंततः अस्तित्व से बाहर हो जाता है। नोकिया, अम्बेसडर, याहू, पीसीओ, कैसेट रिकॉर्डिंग जैसी कंपनियों और व्यवसायों ने यह साबित किया है कि समय के साथ बदलाव न करने की कीमत बड़ी होती है। वहीं, जो समय की नब्ज़ को समझते हैं और खुद को ढालते हैं, वही भविष्य में अपने अस्तित्व को बनाए रखते हैं। ........................................ संपादकीय! ....................................... ✍️ दुर्गेश यादव! .......................................

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