शिक्षा और स्वास्थ्य: भारत के विकास की अनदेखी बुनियाद.!
शिक्षा और स्वास्थ्य: भारत के विकास की अनदेखी बुनियाद.!
जब हम अमेरिका, यूरोप, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और रूस को देखते हैं, तो हमें वहाँ की चमक-दमक, उनकी टेक्नोलॉजी, उनकी कंपनियों और उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों पर गर्व होता है। हम SpaceX, Tesla, Apple, Google, Microsoft, Samsung और Sony जैसी कंपनियों की सफलता को सराहते हैं। हम हॉलीवुड की चकाचौंध, लॉस वेगास की रंगीनियाँ और पश्चिमी देशों के आर्थिक साम्राज्य को देखकर दंग रह जाते हैं।
लेकिन क्या हमने कभी सोचा कि ये देश इतनी ऊँचाई पर पहुँचे कैसे?
क्या वे सीधे रॉकेट बनाने लगे थे? क्या वहाँ पहले ही दिन Tesla की गाड़ियाँ सड़कों पर दौड़ने लगी थीं? क्या Google और Microsoft बिना किसी आधारभूत ढाँचे के खड़े हो गए?
नहीं। इन देशों ने सबसे पहले अपनी जनता को शिक्षित और स्वस्थ बनाया। उन्होंने पहले स्कूल, अस्पताल, सड़कें, बिजली, पानी, स्वच्छता और समान अवसर सुनिश्चित किए। उन्होंने अपने नागरिकों को ऐसा वातावरण दिया, जहाँ वे सोच सकें, नया आविष्कार कर सकें और दुनिया के लिए कुछ क्रांतिकारी कर सकें।
पर भारत में क्या हो रहा है?
हमारे देश में एक गरीब बच्चा, जिसकी आँखों में भी Google, Tesla या Microsoft बनाने का सपना है, वह सुबह उठता है और देखता है कि—
- उसका स्कूल जर्जर हालत में है, पढ़ाने के लिए अच्छे शिक्षक नहीं हैं।
- अस्पताल में डॉक्टर नहीं है, इलाज के लिए दवा उपलब्ध नहीं है।
- बिजली आधी रात को कट जाती है, पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है।
- टूटी हुई सड़कों और कूड़े से भरे नालों के बीच उसकी जिंदगी गुजरती है।
- नौकरी के लिए लाखों की भीड़ में खड़ा होना पड़ता है, और फिर भी अवसर नहीं मिलता।
ऐसे हालात में कैसे कोई बच्चा वैज्ञानिक बनेगा?
कैसे कोई युवा आविष्कार करेगा?
कैसे कोई नवाचार करेगा?
जब तक मूलभूत सुविधाएँ नहीं, तब तक विकास असंभव
अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और रूस की सबसे बड़ी ताकत उनकी जनता है—शिक्षित, स्वस्थ और जागरूक जनता।
उन्होंने अपनी जनता को मजबूत किया, और उसी जनता ने इन देशों को महाशक्ति बना दिया।
लेकिन भारत में क्या हुआ?
- बजट का एक बड़ा हिस्सा नेताओं के ऐशो-आराम, प्रचार और भ्रष्टाचार में चला जाता है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य को सबसे कम प्राथमिकता दी जाती है।
- जो भी प्रतिभा निकलकर आती है, वह या तो विदेश चली जाती है या फिर बेरोजगारी और संसाधनों की कमी के कारण दम तोड़ देती है।
भारत के नेताओं, उद्योगपतियों और ब्यूरोक्रेट्स ने अपने स्वार्थ के लिए देश की सबसे बड़ी शक्ति—जनता को ही कमजोर बना दिया।
अगर हम सच में विकसित होना चाहते हैं
- हमें पहले हर गाँव, हर शहर में समान शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ देनी होंगी।
- हमें पहले सुनिश्चित करना होगा कि कोई बच्चा सिर्फ इसलिए स्कूल छोड़ने को मजबूर न हो, क्योंकि उसके घर में बिजली या किताबें नहीं हैं।
- हमें पहले युवा पीढ़ी को ऐसा माहौल देना होगा जहाँ वे सिर्फ जीवित रहने के लिए संघर्ष न करें, बल्कि नए विचारों पर काम कर सकें।
- हमें पहले भ्रष्टाचार को खत्म करना होगा, ताकि सरकार के बजट का पैसा सही जगह पर इस्तेमाल हो सके।
एक शिक्षित और स्वस्थ भारत ही सशक्त भारत होगा
अगर हमें Tesla, Microsoft, Google और SpaceX जैसी कंपनियाँ चाहिए, तो हमें पहले स्वस्थ और शिक्षित नागरिक तैयार करने होंगे।
अगर हमें परमाणु वैज्ञानिक चाहिए, तो हमें पहले ऐसे स्कूल और विश्वविद्यालय चाहिए जहाँ वे सही शिक्षा ले सकें।
अगर हमें दुनिया में भारत का नाम रोशन करना है, तो हमें पहले अपनी जनता के लिए मूलभूत सुविधाएँ सुनिश्चित करनी होंगी।
अन्यथा, हम सिर्फ पश्चिमी देशों की तरक्की देखकर आहें भरते रहेंगे, और भारत की असली प्रतिभा गरीबी, बीमारी और बेरोजगारी के दलदल में फँसती रहेगी।
(संपादकीय लेख - दुर्गेश यादव ✍️)
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