अमेरिका और कोलंबिया की मिसाल: क्या भारत को भी यह सीखने की जरूरत नहीं है?

अमेरिका और कोलंबिया की मिसाल: क्या भारत को भी यह सीखने की जरूरत नहीं है? अमेरिका ने हाल ही में अपने अवैध प्रवासियों को उनके देशों में वापस भेजने के लिए जो तरीका अपनाया, वह एक कड़ा संदेश है। उसने उन्हें अपने C-17 सैन्य मालवाहक जहाजों के द्वारा हथकड़ी और बेड़ियों में बांधकर भेजा, जिससे यह जताया गया कि जो अवैध तरीके से उसके देश में घुसेगा, वह यही सजा पाएगा। यह दृष्टिकोण न केवल कठोर है, बल्कि इंसानियत की सीमाओं को भी लांघता हुआ प्रतीत होता है। यहां पर एक और उदाहरण सामने आता है, जब अमेरिका ने कोलंबिया के अवैध प्रवासियों को भी इस तरह वापस भेजने का प्रयास किया। लेकिन कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने इस तरीके का विरोध किया और अमेरिकी विमान को अपने देश में उतरने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। कोलंबिया ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाया, और दो पैसेंजर विमानों के द्वारा अपने नागरिकों को इज्ज़त के साथ वापस बुलाया। जब वे अपने देश की राजधानी "बोगोटा" पहुंचे, तो राष्ट्रपति पेट्रो खुद विमान के अंदर गए और उन्होंने अपने नागरिकों से कहा, “अब आप आज़ाद हैं, और अपनी मातृभूमि पर हैं। आप निराश ना हों, सरकार आपके लिए हर संभव मदद उपलब्ध कराएगी।” यह संदेश न केवल सहानुभूति से भरा था, बल्कि देशप्रेम और मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता भी दर्शाता था। अब सोचिए, भारत जैसे विशाल और समृद्ध देश में हम इस तरह की मानवीय संवेदना क्यों नहीं दिखा पाते हैं? भारत की अर्थव्यवस्था आज दुनिया में तीसरे नंबर पर है, हम परमाणु शक्ति संपन्न हैं, और हमारे पास 140 करोड़ की आबादी है, फिर भी जब हमारे नागरिक विदेशों में अवैध रूप से फंसे होते हैं, तो हम उन्हें वापस लाने में किसी प्रकार की महत्त्वपूर्ण पहल क्यों नहीं करते? यह सवाल खुद से पूछने की जरूरत है। हमारे देश का प्रधानमंत्री दुनिया में सबसे लोकप्रिय है, हम सबसे बड़ी लोकतंत्रिक शक्ति हैं, लेकिन क्या हम अपनी मानवता को पहले रख सकते हैं? क्या हम यह नहीं कर सकते कि अगर हमारे नागरिक किसी संकट में हैं तो हम उन्हें इस तरह के अपमानजनक तरीके से नहीं भेजें, बल्कि उनके सम्मान और इज्ज़त के साथ उनके देश वापस लाने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाएं? अगर कोलंबिया जैसे छोटे देश को यह करना आ गया, तो भारत क्यों नहीं कर सकता? यह समय है जब हमें अपनी नीति में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि हमारी दुनिया में न केवल एक मजबूत आर्थ‍िक शक्ति के रूप में पहचान हो, बल्कि एक मानवीय और सम्मानजनक राष्ट्र के रूप में भी। (दुर्गेश यादव ✍️)

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